सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने के लिए वैदिक विधि का पालन किया जाता है। निम्नलिखित हैं सावन में भगवान शिव की पूजा की साधारण वैदिक विधि के चरण:
- स्नान करें: पूजा की शुरुआत में स्नान करें। स्नान के लिए शुद्ध जल लें और भगवान शिव का नाम जपते हुए स्नान करें।
- पूजा स्थल की सजावट करें: भगवान शिव की मूर्ति या प्रतिमा के लिए पूजा स्थल को सजाएं। सजावट में पुष्प, धूप, दीप, अर्चना सामग्री और नागदो अपनाएं।
- देवी पार्वती की पूजा करें: सावन में भगवान शिव की पूजा में देवी पार्वती को भी पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्हें अपने पति की आराध्या मानते हुए पूजा करें।
- मंत्र जप करें: भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें, जैसे ‘ॐ नमः शिवाय’ और ‘ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्’। मंत्र जप करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है।
- शिवलिंग पर जल चढ़ाएं: शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और उसे पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजें। जल चढ़ाने के बाद, शिवलिंग पर बिल्वपत्र रखें और उसे प्रसाद के रूप में प्राप्त करें।
- व्रत रखें: सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा के साथ-साथ व्रत भी रखा जाता है। सोमवार को भगवान शिव का व्रत विशेष रूप से पालन किया जाता है।
- कथा सुनें: भगवान शिव के व्रत में उनकी कथा को सुनना भी महत्वपूर्ण है। शिव महापुराण और शिवलिंग पूजा से संबंधित किसी भी कथा को सुनें।
ये थीं कुछ सामान्य वैदिक विधियाँ जो आप सावन महीने में भगवान शिव की पूजा करने के दौरान अनुसरण कर सकते हैं। ध्यान दें कि ये सामान्य निर्देश हैं और आप अपनी धार्मिक आदतों और आपके परिवार की परंपराओं के अनुसार अपनी पूजा विधि को आदर्शित कर सकते हैं।